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Workbook Answers of Megh Aaye - Sahitya Sagar

Workbook Answers of Megh Aaye - Sahitya Sagar
मेघ आए - साहित्य सागर

अवतरणों पर आधारित प्रश्न

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों, गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

(क) कवि ने मेघों के आगमन की तुलना किससे की है ? उनका स्वागत किस प्रकार होता है?

उत्तर : कवि ने मेघों के आगमन की तुलना गाँवों में दामाद के आने के उल्लास से की है। जिस प्रकार जब शहर से गाँव में किसी का दामाद बन-ठनकर आता है, तो उसे देखने के लिए लोगों में प्रसन्नता भर जाती है।b उसी प्रकार बादलों के आगमन की सूचना देने के लिए पुरवाई हवा नाचती-गाती है, लोगों के घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ खुलने लगे हैं।


(ख) मेघों के आगमन पर बयार (हवा) की क्या प्रतिक्रिया हुई तथा क्यों ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : वर्षा काल में आसमान में घिरने वाले बादलों को देखकर उनके स्वागत में पूरब से चलने वाली ठंडी हवा अत्यंत प्रसन्न होकर नाचती-गाती चलने लगती है। उसे नाचते-गाते देखने के लिए लोग अपने घरों केदरवाजे और खिड़कियाँ खोल देते हैं।


(ग) मेघों के लिए 'बन-ठन के', 'सँवर के शब्दों का प्रयोग क्यों किया गया है?

उत्तर : कवि ने मेघों के लिए बन ठन के' और 'सँवर के' शब्दों का प्रयोग इसलिए किया है क्योंकि जब वर्षा काल में बादल उमड़-उमड़कर घिरकर आते हैं, तो कवि कल्पना करता है कि मानों गाँव में शहर से किसी का दामाद बन-ठनकर और सज-धजकर आया हो, जिसे देखने के लिए लोगों में प्रसन्नता छा जाती है।


(घ) 'पाहुन ज्यों आए हों, गाँव में शहर के'–पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए तथा बताइए कि ग्रामीण संस्कृति में ‘पाहुन' का विशेष महत्त्व क्यों है ?

उत्तर : कवि ने मेघों के आगमन के माध्यम से गाँव में दामाद (पाहुन) के आने के उल्लास का वर्णन किया है। ग्रामीण संस्कृति में पाहुन अर्थात् दामाद का विशेष महत्त्व है। गाँवों में शहर में जब कोई दामाद सज- धजकर आता है, तो पूरे गाँव में उल्लास का वातावरण छा जाता है। दामाद की सूचना देने वाला भी अत्यंत उत्साह से उसके आगमन की सूचना देता है।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा नदी ठिठकी, पूँघट सरकाए।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

(क) 'पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए'-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : जब मेघ आ गए, तो पेड़ों ने गरदन उचकाकर, झुककर उन्हें देखा। भाव यह है कि हवा चलने से पेड़ों

के झुकने से ऐसा प्रतीत होता है, मानो पेड़ मेघों के । पर उन्हें गरदन झुकाकर अत्यंत उल्लास एवं

उत्सुकता से देख रहे हों।

(ख) उपर्युक्त पंक्तियों में पेड़', 'धूल' और 'नदी' को किस-किस का प्रतीक बताया गया है और कैसे?

उत्तर : पेड़ों को उन लोगों का प्रतीक कहा गया है, जो गाँव में शहर से किसी मेहमान (दामाद) के आने पर

झुक-झुककर उसे प्रणाम करते हैं, उसी प्रकार पेड़ भी मेघों को गरदन उचकाकर और झुक-झुककर देख

रहे हैं। धूल को देखकर कवि कल्पना करता है कि उसका तेज़ चलना वैसा ही है, जैसे गाँव की किसी

युवती का गाँव में आए मेहमान को देखकर अपना लहँगा समेटकर भागी चले जाना। नदी गाँव की वधुओं

का प्रतीक है। नदी का ठिठकना वैसा था, जैसे गाँव की वधुओं ने चूंघट कर लिया हो और वे मेहमान

को देखने लगीं।

(ग) 'बाँकी चितवन उठा नदी ठिठकी, घूघट सरकाए'-पंक्ति का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : मेघ रूपी अतिथि को देखने के लिए सभी लालायित हैं। नदी अपनी बाँकी आँखों से बादलों को उसी

प्रकार देख रही है, जैसे कोई प्रियतमा अपने प्रियतम को चोरी-चोरी देखती है।

(घ) उपर्युक्त पंक्तियों का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : उपर्युक्त पंक्तियों में आकाश में बादलों के घिर आने के माध्यम से किसी शहर से गाँव में आए मेहमान

का चित्रण किया है। मेघों को देखकर हवा का नाचते-गाते चलना, पेड़ों का गरदन उचकाकर मेघों को

देखना, नदी का ठिठकना, आँधी का तेज़ चलना आदि का चित्रात्मक वर्णन किया गया है। इन सभी से

मेघों का आगमन चित्रात्मक बन गया है।


बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की
'बरस बाद सुधि लीन्हीं
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।


(क) मेघों के आगमन पर पीपल ने क्या किया ? उसके लिए बूढ़े' शब्द का प्रयोग क्यों किया गया है ?

उत्तर : बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर आदर के साथ झुककर बादलों का स्वागत किया। कवि ने पीपल के लिए 'बूढ़े' शब्द का प्रयोग इसलिए किया क्योंकि पीपल के पेड़ की आयु बहुत लंबी होती है। जब गाँवों में कोई मेहमान आता है, तो घर का बड़ा-बुजुर्ग उसका स्वागत करता है, उसी प्रकार पीपल ने भी मेघों का स्वागत किया।

(ख) लता के मेघों के आगमन पर उनसे क्या कहा और कैसे ? काव्य-पंक्ति में ओट हो किवार की' का प्रयोग क्यों किया गया है?

उत्तर : लता को एक ऐसी युवती के रूप में दिखाया गया है, जिसका पति उससे एक वर्ष बाद मिलने आया हो। गाँवों में पत्नी अपने पति के सामने नहीं आती। इसलिए कवि ने कल्पना की है कि लता किवाड़ की ओट में खड़ी होकर अपने पति को एक वर्ष बाद आने का उलाहना देती है।


(ग) उपर्युक्त पंक्तियों में पीपल', 'लता' और 'ताल' शब्दों का प्रयोग कवि ने किस-किस के प्रतीक के रूप में किया है ?

उत्तर : उपर्युक्त पंक्तियों में पीपल' को एक बूढ़े व्यक्ति के रूप में, 'लता' को एक युवती के रूप में और 'ताल' को परात में पानी भरकर लाने वाले व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया हैं।


(घ) शब्दार्थ लिखिए-

उत्तर : जुहार-आदर के साथ झुककर अभिवादन करना

सुधि – खबर

अकुलाई – उत्सुक होना

किवार - दरवाज़ा, किवाड़


क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी,
'क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की।'
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।


(क) 'क्षितिज अटारी' से कवि का क्या अभिप्राय है? वहाँ किस-किस का मिलन हुआ ?

उत्तर : 'क्षितिज अटारी' का अर्थ है-अटारी पर पहुँचे अतिथि की तरह क्षितिज पर बादल छा गए । वहाँ दामिनी रूपी प्रिया का बादल रूपी प्रियतम से मिलन हुआ।


(ख) 'क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की'-पंक्ति के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि किसने, किससे, कब तथा क्यों क्षमा माँगी?

उत्तर : दामिनी रूपी प्रिया ने बादल रूपी प्रियतम से तब क्षमा माँगी, जब अटारी पर पहुँचे अतिथि की तरह क्षितिज पर बादल छा गए, जिसे देखकर बिजली चमक उठी और बोली- क्षमा करो, भ्रम की गाँठे अब खुल गई हैं। बादल नहीं बरसेगा, यह भ्रम अब टूट गया है।

(ग) 'बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके'-आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : कवि कहते हैं कि दामिनी रूपी प्रिया का बादल रूपी प्रियतम से जब मिलन हुआ, तो लंबे वियोग के बाद उत्पन्न मिलन सुख से आँसू छलक उठे अर्थात् मेघ झर झर बरसने लगे।


(घ) उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : इन पंक्तियों में मेघों के आगमन का शब्द चित्र अंकित किया गया है। आकाश में बादल छा गए। क्षितिज पर गहरे बादलों में बिजली चमकी और वर्षा शुरू हो गई। पत्नी ने उसे एक वर्ष बाद आने का उलाहना दिया, पर जब दोनों का मिलन हुआ, तो बिजली-सी कौंध गई और पत्नी के मन में जो भ्रम था, वह दूर हो गया अर्थात् उसके मन की सारी शंकाएँ दूर हो गईं।

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4 comments

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